
बिलासपुर, 24 जुलाई 2025। महिला जागृति समूह, बिलासपुर द्वारा आयोजित “बरखा महोत्सव 2025” पारंपरिक उल्लास, सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक जागरूकता का एक शानदार उदाहरण बना। कार्यक्रम में 60 से अधिक सखियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई और सावन की सौंधी महक के बीच पूरे हर्षोल्लास के साथ इस उत्सव को मनाया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ चंदन-रोली तिलक, सुहाग सामग्री वितरण और ढोल की थाप पर थिरकते स्वागत से हुआ। दीप प्रज्वलन के साथ डॉ. ज्योति सक्सेना (अध्यक्ष एवं संस्थापक), श्रीमती निशा क्षत्रिय, डॉ. आरती पाठक, डॉ. संगीता बनाफर एवं कोषाध्यक्ष डॉ. आरती पांडे द्वारा उद्घाटन किया गया।
डॉ. सक्सेना ने अपने उद्घाटन भाषण में सावन माह की आध्यात्मिक गरिमा एवं महिला जागृति समूह की 5 वर्षों की यात्रा को रेखांकित किया। सरस्वती वंदना एवं कजरी गायन सुमिता दास गुप्ता ने प्रस्तुत किया।
उत्सव के दौरान आयोजित सांस्कृतिक प्रतियोगिताओं में गीत, कविता, भजन, कजरी, नृत्य, रैंप वॉक, लकी गेम्स आदि शामिल रहे। विजेताओं में एकल गीत: प्रथम सुमिता दास गुप्ता, द्वितीय अर्चना कार्डेकर, तृतीय डॉ. रीता तिवारी, कविता: प्रथम अनीता दुआ, एकल नृत्य: प्रथम नेहा पांडे, द्वितीय प्रगति पांडे, तृतीय प्रीति धीरेंद्र, रैंप वॉक: प्रथम दीपा पांडे, द्वितीय प्रगति पांडे, तृतीय सीमा तिवारी, ग्रुप डांस: प्रथम प्रगति पांडे ग्रुप, द्वितीय डॉ. रीता तिवारी ग्रुप, तृतीय मीनू चंद्राकर ग्रुप, बरखा सुंदरी 2025 सुनीता पांडे, मेघा सुंदरी आशा उज्जैनी, रिमझिम सुंदरी भूमिका डोडेजा, सावन सुंदरी प्रीति धीरेंद्र, जजेज प्राइज़ पद्मजा सिन्हा विशेष सम्मान हेतु दानदाता सम्मान: डॉ. रंजना चतुर्वेदी, शोभा गुप्ता, रेनू रानी गौतम, जयश्री साहू, नंदिनी तिवारी, डॉक्टर सम्मान: डॉ. आरती पांडे, योग गुरु सम्मान 2025: अनीता दुआ, तकनीकी सहयोगी सम्मान: भूमिका डोडेजा, प्रिय राम परिहार, पंक्चुलिटी सम्मान: प्रथम – आभा सिंह, द्वितीय – रश्मि उपाध्याय, तृतीय – रश्मि पांडे जजमेंट का कार्य निष्पक्षता से श्रीमती निशा क्षत्रिय, डॉ. संगीता बनाफर एवं डॉ. आरती पाठक (दिल्ली) द्वारा किया गया। प्रतिभागियों को उपहार और मोमेंटो से सम्मानित किया गया। साथ ही पर्यावरण संरक्षण के संदेश स्वरूप 60 पौधे भी वितरित किए गए।
डॉ. आरती पांडे के सशक्त मंच संचालन से सजीवता प्राप्त करता यह कार्यक्रम महिला जागृति समूह के सामाजिक सरोकारों, सांस्कृतिक मूल्यों और सामुदायिक सौहार्द का जीवंत प्रमाण बनकर उभरा।