अकेलेपन से आत्मसम्मान तक – लछन बाई की नई शुरुआत, मिट्टी की दीवार से पी एम आवास की सम्मान की दीवार तक – लछन बाई की कहानी

जांजगीर चांपा 03 अगस्त 2025। जनपद पंचायत पामगढ़ के मेऊ गांव के एक कोने में, समय और परिस्थितियों से हारी एक बुजुर्ग महिला श्रीमती लछन बाई टूटे फूटे, कच्चे घर में जैसे-तैसे जिंदगी गुजार रही थीं। कोई बेटा न बेटी और न कोई सहारा। एक कच्ची झोपड़ी में अकेले रहते हुए उनका जीवन हर दिन एक नई चुनौती था। जिस छत के नीचे जीवन के दिन बीत रहे थे, वह छत टपकती थी, मिट्टी की दीवारें बरसात में गल जाती थीं, और ठंडी रातें हड्डियों तक चुभ जाती थीं। आँखों में आंसू और सीने में उम्मीद थी, लेकिन वह उम्मीद भी हर मानसून में बह जाती थी। फिर एक दिन पी एम आवास योजना ने उनके जीवन की दिशा बदल दी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के तहत ₹1.20 लाख की सहायता राशि और मनरेगा से 21600 मजदूरी स्वीकृत हुई। बुजुर्ग होने के बावजूद, लछन बाई ने खुद ईंट उठाई, मिट्टी ढोई और छत तक अपनी मेहनत से घर खड़ा कर दिया। उनकी यह बात दिल छू जाती है कि ये मेरा घर है, मेरी मेहनत से बना है।
वह कहते हुए अतीत की यादों में खो जाती है और कहती कि इस बार बारिश आई… लेकिन अब उनके घर की कच्ची दीवारें नहीं गलीं, सर्दी आई… लेकिन अब ठिठुरन घर के भीतर नहीं घुसी, अब वह घर सिर्फ छत नहीं, सम्मान और आत्मनिर्भरता का प्रतीक बन गया है। टूटी छत, असुरक्षित घर, बरसात और ठंड से बचाव नहीं पक्की छत, नया मजबूत घर, सुरक्षित जीवन, खुद का कोई घर नहीं अब खुद के नाम से पक्का मकान बन गया। उन्होंने कहा कि पहले छप्पर में रहते थे, अब पी एम आवास योजना के पक्के मकान में उन्होंने इसके लिए प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को बहुत बहुत धन्यवाद दिया और कहा कि सरकार की मदद से पक्का घर मिला है। हमें बहुत राहत मिली है।” मेरा घर मेरा सपना साकार हो गया और मेरी मेहनत उससे भी ज़्यादा।