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BREAKING NEWS: “स्कूल प्राचार्यों पर आवारा कुत्तों की रोकथाम का बोझ अस्वीकार्य” – शिक्षक संघ का कड़ा विरोध

रायपुर, 21 नवंबर 25। प्रदेश सरकार द्वारा आवारा कुत्तों पर नियंत्रण को लेकर जारी नए निर्देशों के खिलाफ शिक्षकों ने कड़ा विरोध जताया है। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद राज्य शासन ने स्कूल परिसरों में कुत्तों की एंट्री रोकने की जिम्मेदारी सीधे प्राचार्यों पर डाल दी है, जिसे शिक्षक संगठन ने “अतिरिक्त और अव्यावहारिक बोझ” बताते हुए तत्काल वापस लेने की मांग की है।

सुप्रीम कोर्ट द्वारा देशभर में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं पर स्वतः संज्ञान लेने के बाद छत्तीसगढ़ शासन ने आधा दर्जन से अधिक विभागों की जिम्मेदारी तय कर संबंधित आदेश जारी किया है। इस आदेश के तहत सरकारी और प्राइवेट स्कूल, अस्पताल, बस स्टैंड, रेलवे स्टेशन सहित सभी सार्वजनिक स्थलों पर कुत्तों की एंट्री रोकने के लिए 7 दिन के भीतर फेंसिंग, गेट और अन्य सुरक्षा उपाय सुनिश्चित करना अनिवार्य किया गया है। प्रत्येक स्थान के लिए एक नोडल अफसर भी नियुक्त किया जाएगा।

पहला चरण: प्राचार्यों, अस्पताल अधीक्षकों और प्रबंधकों को जिम्मेदारी

पहले चरण में स्कूलों के प्राचार्य, अस्पतालों के अधीक्षक तथा बस स्टैंड/स्टेशन प्रबंधक अपने-अपने परिसरों में कुत्तों के प्रवेश मार्गों की पहचान कर उन्हें बंद करने के उपाय करेंगे। जरूरत पड़ने पर अन्य विभागों से सहयोग भी लिया जाएगा। नोडल अफसर यह सुनिश्चित करेंगे कि परिसर में कुत्तों की एंट्री पूरी तरह बंद रहे और वे आसपास भी न भटकें।

विभागों की जिम्मेदारी तय

पशुधन विकास विभाग – आवारा कुत्तों की नसबंदी, आश्रय स्थलों पर पशु चिकित्सक की नियुक्ति

स्वास्थ्य विभाग – सभी अस्पतालों में एंटी रैबीज वैक्सीन व इम्यूनोग्लोबुलिन का पर्याप्त स्टॉक

लोक निर्माण विभाग (PWD) – एंट्री पॉइंट की पहचान, फेंसिंग व गेट निर्माण

शिक्षा विभाग – स्कूलों में सुरक्षा व्यवस्था तथा कुत्तों के काटने पर तत्काल उपचार

नगर निगम/नगर पालिका – हर तीन महीने निरीक्षण, कुत्तों की पकड़-नसबंदी, आश्रय स्थल, भोजन स्थल आदि

खेल मैदान प्रबंधन – ग्राउंड में कुत्तों की एंट्री रोकने सुरक्षा कर्मी

शिक्षक संघ ने जताया आपत्ति जारी निर्देशों में स्कूल प्राचार्यों पर फेंसिंग की निगरानी, परिसर में कुत्तों की एंट्री रोकने, साफ-सफाई तथा किसी भी अप्रिय घटना की जिम्मेदारी तय किए जाने पर शिक्षकों ने नाराजगी जताई है।

शालेय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र दुबे ने कहा शिक्षकों पर पहले से ही शैक्षणिक कार्यों के साथ कई गैर-शैक्षणिक जिम्मेदारियां हैं। अब आवारा कुत्तों को हटाने और सुरक्षा उपायों की जिम्मेदारी देना अव्यावहारिक और अनावश्यक बोझ है। किसी भी घटना पर प्राचार्य को जिम्मेदार ठहराना गलत है।

उन्होंने मांग की कि यह निर्णय तुरंत वापस लिया जाए और आवारा कुत्तों के प्रबंधन की जिम्मेदारी नगर निगम को सौंपी जाए, क्योंकि यह उनका विशेषज्ञ कार्यक्षेत्र है।

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