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जांजगीर चाम्पा जिले में हो सकती है ईडी की बड़ी कार्यवाही.. डीएमएफ में भ्रष्टाचार पर निकट भविष्य में ईडी कार्यवाही

जिले के पामगढ़ विधानसभा में डीएमएफ से ज्यादा भ्रष्टाचार होने की आशंका

रायपुर :-  ईडी ने कोयला घोटाले और डी एम एफ मद में हुए भ्रष्टाचार के खिलाफ रायपुर, बिलासपुर, रायगढ़ और कोरबा में छापे की कार्रवाई किया है। जांजगीर-चांपा जिले में भी डी एम एफ मद में हुए भ्रष्टाचार की कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है । बताया जा रहा है कि इस मद में हुए करोड़ों रुपए के भ्रष्टाचार के खिलाफ ईडी निकट भविष्य में कार्रवाई करने जा रही है। ज्ञातब्य है कि डीएम एफ मद में स्वीकृत निर्माण कार्यों में जमकर भ्रष्टाचार हुआ है वहीं कोरोना काल में इस मद में करोड़ों रुपए के चिकित्सा उपकरणों की खरीदी में भी जमकर पैसों का खेल हुआ है। जमकर नियमों को ताक पर रखकर निर्माण कार्य की स्वीकृति की जा रही है अनेक कार्य ऐसे है जो नियम के विरुद्ध है ऐसे कार्य भी जिनको मौला मिला है या जो प्रभारी है वह लगातार शासकीय राशि का दुरुपयोग करते हुए कार्य को अमलीजामा पहनाने में लगे हुए है सही मायने में जांच किया जावे।

बड़ी भ्रष्टाचार की आंच पामगढ़ विधानसभा तक आ सकती है
वही पामगढ़ में कोविड केयर सेंटर के नाम पर भी भ्रस्टाचार किया गया है इस सब पर भी ईडी की टीम जांच कर सकती है जांजगीर जिले में पामगढ़ क्षेत्र में काफी सारे निर्माण कार्य और अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके डीएमएफ मद में भरस्टाचार किया गया है।

जिले में पिछले तीन -चार वर्षों में पदस्थ कलेक्टरों द्वारा डीएम एफ मद में की गई गंभीर अनियमितताएं और भ्रष्टाचार की शिकायतें ईडी को मिली है। ईडी की बहुत ही जल्द इन शिकायतों पर कार्रवाई हो सकती है। ज्ञातव्य है कि जिले के जनप्रतिनिधियों द्वारा डीएम एफ मद में राशि के ब्यय में अनियमितता और भ्रष्टाचार की अनेक शिकायतें की जा चुकी है किन्तु इन शिकायतों पर अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। ईडी की कार्रवाई की भनक लगने पर इसके पूर्व खनिज और प्रशासनिक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ था। बताया जा रहा है कि ईडी की कार्रवाई की लिस्ट में जांजगीर-चांपा जिले का डीएम एफ मद पर कार्रवाई प्राथमिकता सूची में शामिल है।

छत्तीसगढ़ में कोयला सहित अन्य घोटालों को लेकर प्रदेशभर में एक ओर जहां प्रवर्तन निदेशालय की ताबड़तोड़ कार्यवाही लगातार जारी है वहीं दूसरी ओर अब जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट भी ईडी के रडार में आ गया है।

बताया जा रहा है कि जांजगीर-चांपा जिले में भी डीएमएफ मद में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है, जिसकी शिकायत राज्य से लेकर केन्द्र तक पहुंच चुकी है। हालांकि, राज्य एवं केन्द्र सरकार ने इस मामले में अब तक सीधे तौर पर किसी भी उच्चाधिकारी के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की है परन्तु ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) ने इस मामले में अब गंभीरता दिखाते हुए बारीकी से छानबीन प्रारंभ कर दी है।

दरअसल, जांजगीर-चांपा जिले को कोरबा एवं रायगढ़ से बड़े पैमाने पर राजस्व की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जिले में संचालित पावर प्लांट, डोलोमाइट खदान एवं क्रशर उद्योगों से भी बहुत अधिक राजस्व मिलता है, जिसका उपयोग प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न मूलभूत विकास कार्यों में किए जाने का प्रावधान है। इसके लिए शासन ने जिला खनिज न्यास मद (डीएमएफ) का गठन किया है। डी एम एफ मद में ब्यय संबंधी अनेक नियम-कायदे हैं।जिसका कड़ाई से पालन कर ही डीएमएफ की राशि की मंजूरी दी जाने का प्रावधान है परन्तु जांजगीर-चांपा जिले में आंख मूंदकर इस मद की राशि जारी की गई है। सूत्रों के अनुसार, जिन कार्यों की वास्तविक लागत लाखों में है, उसके लिए डीएमएफ मद से करोड़ों रूपए का फर्जी ख़र्च होना बताकर फूंक ब्यापक भ्रष्टाचार को अंजाम दिया गया है। जिले में डीएमएफ मद की राशि में फर्जीवाड़े का यह खेल पिछले तीन-चार वर्षों से धड़ल्ले से जारी रहा । कार्रवाई की आशंका के मद्देनजर जिला प्रशासन और खनिज विभाग एहतियात बरत रहा है।

तत्कालीन कलेक्टर यशवंत कुमार और जितेन्द्र कुमार शुक्ला ने अपने कार्यकाल के दौरान विभिन्न कार्यों के लिए इस मद से भारी-भरकम राशि की मंजूरी दी है, जिस पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।इस मद से चिकित्सा उपकरणों सहित विभिन्न सामग्रियों की गुणवत्ता काफी घटिया पाई गई है। हालांकि, कलेक्टर जितेन्द्र कुमार शुक्ला के कार्यकाल में इस मद से स्वीकृत करोड़ों के कार्यों में गड़बड़ी की पुख्ता शिकायत के बाद शासन स्तर से कई कार्यों की मंजूरी को रद्द कर दिया गया। परन्तु इस मामले में संलिप्त तत्कालीन कलेक्टर शुक्ला सहित अन्य जिम्मेदारों के खिलाफ अब तक किसी तरह की कोई कार्यवाही नहीं हुई है। इधर, कलेक्टर( वर्तमान में रायगढ़) तारन प्रकाश सिन्हा के कार्यकाल में भी विभिन्न कार्यों के नाम पर डीएमएफ मद से अनाप-शनाप राशि स्वीकृति की शिकवा-शिकायतें अब शुरू हो गई हैं। इस बीच एक बड़ी खबर आ रही है कि इस पूरे मामले को लेकर ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की टेढ़ी नज़र अब जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट को अपने रडार में है।

ईडी बारीकी से जाँच पड़ताल किया शुरू
सूत्रों के अनुसार पिछले तीन-चार वर्षों के भीतर जिले में डीएमएफ मद से स्वीकृत तमाम कार्यों सहित उन कार्यों में खर्च की गई राशि की बारीकी से जांच पड़ताल शुरू हो गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि ईडी की धमक बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा कलेक्टोरेट में हो सकती है। इस बात की खबर जिला प्रशासन तक पहुंच गई है, जिसके चलते वर्तमान में डीएमएफ मद की राशि का उपयोग सोच-समझ कर किया जा रहा है ताकि, मौजूदा अधिकारी किसी तरह ईडी के शिकंजे से बच जाएं। बहरहाल, ईडी यदि इस मामले की बारीकी से छानबीन करके कार्यवाही करती है तो जिले में पदस्थ रहे तीन-चार कलेक्टर सहित कई प्रशासनिक अफसरों के काले कारनामे उजागर हो सकते हैं।

ईडी के कब्जे में है समस्त दस्तावेज 
बताया जा रहा है कि ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) के कुछ वरिष्ठ अधिकारी पिछले दिनों यहां पहुंचे हुए थे, जिन्होंने जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों से डीएमएफ मद के संदर्भ में विस्तृत पूछताछ करते हुए डीएमएफ मद से संबंधित समस्त दस्तावेजों को अपने कब्जे में ले लिया है। ईडी के इस रूख से जिला प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों में हड़कंप मचा है वहीं कार्रवाई की आशंका से भयभीत हैं।है। सूत्रों के अनुसार प्रवर्तन निदेशालय की टीम बहुत जल्द ही जांजगीर-चांपा जिले में आकर डीएमएफ मद में हुए भ्रष्टाचार के मामले की बारीकी से जांच एवं कार्यवाही प्रारंभ करने वाली है।

खनिज अधिकारी पर विशेष नजर
ईडी की पैनी नजर जांजगीर के खनिज विभाग पर है। चूंकि स्थानांतरित प्रभारी जिला खनिज अधिकारी आर के सोनी के तार कोरबा जिले से जुड़े हुए हैं, जहां ईडी (प्रवर्तन निदेशालय) की जांच एवं कार्यवाही इन दिनों व्यापक पैमाने पर चल रही है। ऐसे में माना जा रहा है कि जांजगीर-चांपा जिले में खनिज विभाग के अधिकारियों पर ईडी सबसे पहले शिकंजा कस सकती है। यही वजह है कि प्रभारी जिला खनिज अधिकारी सहित अन्य कई अधिकारी बीच-बीच में अवकाश पर चले जा रहे हैं। सिर्फ इतना ही नहीं, ईडी का नाम सुनकर ही डीएमएफ शाखा से जुड़े अधिकारी-कर्मचारियों की धड़कनें तेज हो गई हैं।

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