रायपुर

अब तक 20 हजार से ज्यादा मामले आए सामने, कल्चर टेस्ट के लिए भेजे दए सैंपल

रायपुर :- छत्तीसगढ़ में आई फ्लू के मामले बढ़ रहे हैं. वायरस और बैक्टीरिया से मिलकर ये इंफेक्शन और बढ़ रहा है. वायरस के स्वरूप को पहचानने के लिए कुछ सैंपल कल्चर टेस्ट के लिए भेजे गए हैं. रायपुर, बलौदाबाजार, दुर्ग के अलावा कई जिलो से सैंपल भेजे गए हैं. अब तक छत्तीसगढ़ में आइ फ़्लू से 20 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।

छत्तीसगढ़ में अब तक 20000 से अधिक लोग कंजक्टिवाइटिस (conjunctivitis) से प्रभावित हो चुके हैं. इस आई फ्लू की बीमारी में प्राथमिक तौर पर आंखों में चुभन एवं आंखों का लाल रंग का दिखना, इसका प्राथमिक लक्षण है, लेकिन यह बीमारी एक वायरस के रूप में लोगों में फैलती जा रही है. रोकने के लिए अब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र जिला अस्पताल पर नेत्र रोग विशेषज्ञ को तैनात किया जा रहा है।

क्या हैं लक्षण ?

आई फ्लू में आंखें लाल हो जाती हैं. आंखों से पानी आने लगता है, जलन होती है, पलकों पर पीला और चिपचिपा तरल जमा होने लगता है.

आंखों में चुभन होने के साथ-साथ सूजन आ जाती है. आंखों से पानी आना और खुजली होना इसके सामान्यतः दिखाई देने वाले लक्षण हैं.

अगर इन्फेक्शन गहरा हो तो आंखों की कॉर्निया को भी नुकसान हो सकता है, जिससे आंखों की दृष्टि प्रभावित हो सकती है. मॉनसून सीजन में आई फ्लू का खतरा बच्चों में सबसे ज्यादा होता है.

आई फ्लू या कन्जक्टिवाइटिस से बचाव के लिए आंखों की सफाई का पूरा ध्यान रखें और उन्हें ठंडे पानी से बार-बार धोएं.

किसी भी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बचें.

कन्जक्टिवाइटिस से पीड़ित होने पर बार-बार आंखों पर हाथ न लगाएं.

आंखों में आई ड्रॉप डालने से पहले हाथों को अच्छी तरह धो लें.

आंखों पर बर्फ की सिकाई जलन और दर्द से राहत दिलाती है.

संक्रमण के दौरान गंदगी और ज्यादा भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें.

संक्रमित व्यक्ति से हाथ न मिलाएं और उनकी चीजें जैसे चश्मा, तौलिया, तकिया आदि न छुएं.

साथ ही अपना तौलिया, रूमाल, चश्मा आदि किसी के साथ साझा न करें.

अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो जल्द ही यह समस्या दूर हो सकती है.

नेत्र संबंधी कोई भी समस्या होने पर नेत्र विशेषज्ञ के पास दिखाना उचित होता है.

अन्यथा गंभीर स्थिति निर्मित हो सकती है. आंखों की जांच और उपचार की सुविधा चिकित्सा महाविद्यालयों, जिला चिकित्सालयों, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में निःशुल्क उपलब्ध है।

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