छत्तीसगढ़रायपुर

गुरु पूर्णिमा महोत्सव: दूधाधारी मठ में भक्ति-भावना से सराबोर हुआ वातावरण

“गुरु बिन भव निधि तरिय न कोई, जो बिरंचि संकर सम होई”

रायपुर, 10 जुलाई 2025। राजधानी स्थित प्राचीनतम धार्मिक स्थलों में से एक श्री दूधाधारी मठ में गुरु पूर्णिमा का पर्व परंपरागत श्रद्धा और गहन भक्ति भाव के साथ अत्यंत हर्षोल्लासपूर्वक मनाया गया।

प्रातः 7:30 से 8:30 बजे तक श्री भगवान रघुनाथ जी, श्री स्वामी बालाजी भगवान एवं संकट मोचन हनुमान जी महाराज की भव्य श्रृंगार आरती की गई। इसके पश्चात स्वामी बलभद्र दास जी महाराज की समाधि स्थल पर विशेष पूजा-अर्चना कर पूर्वाचार्यों का स्मरण किया गया। स्वामी वैष्णव दास जी महाराज के तैलचित्र पर दीप, धूप व पुष्पमाला अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।

महामंडलेश्वर राजेश्री महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज के सानिध्य में पूजन का क्रम आगे बढ़ा। मठ मंदिर के समस्त पुजारियों ने उन्हें तिलक कर चरण पखारने के उपरांत चरणामृत ग्रहण किया व विधिपूर्वक पूजन कर उनका आशीर्वाद लिया।

 

इसके पश्चात नगर एवं राज्य के विभिन्न जिलों से पधारे श्रद्धालुओं ने महंत जी की पूजा-अर्चना कर उन्हें शाल, श्रीफल, ऋतुफल, पुष्पमाला आदि भेंट किए और चरणवंदन कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

दोपहर 12 बजे विशेष पूजा-अर्चना संपन्न हुई, जिसमें दूर-दराज से आए श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

 

विशेष आयोजन – भोग भंडारा

गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर दोपहर 1:30 बजे भोग भंडारे का आयोजन किया गया। इसमें नगर सहित विभिन्न जिलों से आए श्रद्धालु भक्तों ने भगवान रघुनाथ जी का प्रसाद ग्रहण कर स्वयं को कृतार्थ किया।

राज्यभर से उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब गुरु पूजन में बिलासपुर, रायगढ़, कोरबा, धमतरी, बलौदाबाजार-भाटापारा, दुर्ग, राजनांदगांव, बेमेतरा, जांजगीर-चांपा तथा मध्यप्रदेश के बालाघाट जिलों से बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित हुए। स्थानीय नागरिकों के साथ अनेक अधिकारी, कर्मचारी, समाजसेवी, मंदिरों के पुजारी व कथावाचकों ने भी गुरु पूजन में भाग लिया।

धार्मिक भावना से ओतप्रोत इस अवसर पर महन्त जी महाराज ने पुरानी बस्ती जैतू साव मठ में आयोजित विशेष कार्यक्रम में भी सहभागिता की।

गुरु का महत्व शास्त्रों में अमूल्य धर्म शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है  “गुरु बिन भव निधि तरिय न कोई। जो बिरंचि संकर सम होई।।” अर्थात  बिना गुरु कृपा के कोई भी जीव भवसागर को पार नहीं कर सकता, चाहे वह स्वयं ब्रह्मा या शिव के समान ही क्यों न हो।

समापन श्री दूधाधारी मठ समिति, रायपुर

 

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