श्रीमद् भागवत कथा में पैराणिक भक्ति का महत्त्व पं.गुरुकुमार त्रिपाठी
लीलागर नदी के तट पर आदिशक्ति मां धुत्तीन दाई मंदिर कोनारगढ में श्रीमद् भागवत कथा का भव्य आयोजन किया जा रहा है।
पामगढ़ :- श्रीमद् भागवत कथा के महत्व और वर्तमान समय काल मे महत्व को पं.गुरूकुमार त्रिपाठी ने कथा प्रवचन में बताया प्रसंग में बताया कि धर्म ग्रंथ केवल धर्म ग्रंथ नही है वरना जीवन प्रबंधन की सर्व प्रमाणित सर्व उपयोगी समस्त कल्याण निर्माण भी है।
श्रीमद् भागवत कथा के पंचम दिन व्यासपीठ से छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध भागवताचार्य गुरु कुमार त्रिपाठी जी महाराज अध्यक्ष मोहन सेवा समिति ठाकुर पाली भटगांव जिला सारंगढ़ बिलाईगढ़ द्वारा भागवत कथा माहात्म्य का सरस वर्णन करते हुए भक्ति देवी के दोनों पुत्रों ज्ञान और वैराग्य की वृद्धावस्था से मुक्ति तथा धुंधकारी की प्रेत योनि से मुक्त होकर सद्गति को प्राप्त करने की कथा श्रवण कराया गया l आचार्य गुरु कुमार त्रिपाठी महाराज ने बताया कि श्रीमद्भागवत इस संसार का सर्वश्रेष्ठ सत्कर्म है , 18 पुराणों में श्रीमद्भागवत ही गर्जना करते हुए सद्गति प्रदान करने की घोषणा करता है , यह पुराणों का तिलक है तथा वैष्णव का परम धन भी है । इसी भागवत रूपी सत्कर्म के पुण्य लाभ से राजा परीक्षित को सद्गति मिली थी । भागवत केवल एक कथा ही नहीं है यह मनुष्य के मन में शांति है तो वही समाज और राष्ट्र के लिए एक अध्यात्मिक क्रांति है । भागवत में स्वयं से मिलने की एक नियति छुपी हुई है जिस प्रकार नन्हे से बीज के भीतर एक अंकुरण छिपा हुआ रहता है । भागवत युवाओं किशोरियों और गृहस्थ में रहने वालों की कथा है , इसे केवल सुनने के लिए ही नहीं सुनना चाहिए बल्कि इसे अपने जीवन में उतारने और आत्मसात करने से ही जीवन में परिवर्तन आता है और एक सजग मनुष्य का निर्माण भी होता है
यह सत्कर्म देवताओं के लिए भी बड़ा दुर्लभ है , जिसे धरती में रहने वाले मनुष्य अपने अर्जित पुण्य और भाग्योदय होने के कारण प्राप्त कर सकते हैं किंतु देवताओं को यह सुलभ नहीं है , इसलिए यह देवता भर्ती में रहने वाले मनुष्यों की प्रशंसा करते हुए कहते हैं किन मनुष्यों ने अपने जीवन में ऐसा क्या पुण्य कमाया कि श्रीमद्भागवत महापुराण को अपने सिर में धारण कर तथा कथा श्रवण कर अक्षय पुण्य प्राप्त कर लेते हैं ।
भागवत की कथा मृत्यु को भी मंगलमय बनाने वाली है , कलयुग के सभी प्रकार के दोष ,ताप और पाप का नाश करती है भागवत की कथा , यही मनुष्यों के लिए एक परम औषधि , उपचार और वैद्य भी है । भगवान श्री कृष्ण जी का वांग्मय स्वरूप है श्रीमद् भागवत , जिसका श्रवण संकीर्तन और गायन तीनों ही परम कल्याणकारी है ।