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गौ-सेवक विपुल शर्मा की हुंकार: “गौ-माताओं को भी मिले 24 घंटे चिकित्सा सुविधा, अन्यथा करेंगे दण्डवत पद यात्रा”

मस्तूरी से बिलासपुर तक दण्डवत यात्रा कर सौंपेंगे कलेक्टर को ज्ञापन, 5 सूत्रीय मांगों को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार से किया सवाल – क्या जीव-जंतुओं को इलाज का अधिकार नहीं?

महेंद्र सिंह राय बिलासपुर, 02 जून 2025। गोपाल कामधेनु गौ सेवा धाम समिति के गौसेवक विपुल शर्मा ने आज अपनी 5 सूत्रीय मांगों को लेकर शासन-प्रशासन से सख्त लहजे में जवाब मांगा है। उन्होंने ऐलान किया है कि जब तक गौ-माताओं और अन्य निरीह जीव-जंतुओं को 24 घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध नहीं कराई जाती, वे मस्तूरी से बिलासपुर तक दण्डवत पद यात्रा करेंगे। पदयात्रा के पश्चात जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा जाएगा।

गौसेवक विपुल शर्मा के अनुसार, समिति बीते 23 वर्षों से घायल व एक्सीडेंट में पीड़ित गौ-माताओं की सेवा कर रही है और अब समय आ गया है कि शासन-प्रशासन इस सेवा कार्य को संस्थागत स्वरूप दे।

प्रमुख मांगें इस प्रकार हैं:

1. गौ सेवा हॉस्पिटल हेतु 5 एकड़ भूमि प्रदान की जाए:

समिति बिना किसी सरकारी सहायता के 23 वर्षों से सेवा कार्य कर रही है, और अब ज़रूरत है कि स्थायी गौ चिकित्सा केंद्र की स्थापना हेतु भूमि दी जाए।

2. कुठी घाट, तखतपुर एवं रतनपुर के मवेशी बाज़ार बंद किए जाएं:

ये स्थान गौ तस्करी के बड़े अड्डे बन चुके हैं। कई घटनाओं में तस्करों के पास अवैध हथियार भी मिले हैं। मवेशी तस्करी रोकने हेतु इन बाज़ारों को तत्काल प्रभाव से बंद करने की मांग है।

3. पशु चिकित्सक डॉ. राम ओतलवार को निलंबित कर जिला अस्पताल में सर्जन की नियुक्ति हो:

डॉक्टर की शिकायतें बार-बार की जा चुकी हैं, यहां तक कि गौ सेवा आयोग ने भी उनके निलंबन हेतु नोटिस दिया, लेकिन कोई कार्यवाही नहीं हुई है।

4. प्रत्येक सुबह 2 घंटे के लिए सरकारी पशु चिकित्सक की सेवा उपलब्ध कराई जाए:

घायल गौ वंश के इलाज हेतु विशेषज्ञ मार्गदर्शन की आवश्यकता है, जिसके लिए सुबह समय निर्धारित किया जाए।

5. घायल गौवंशों के लिए एम्बुलेंस की व्यवस्था की जाए:

वर्तमान में इन्हें लाने हेतु निजी वाहनों का सहारा लेना पड़ता है। पशुओं के लिए समर्पित एम्बुलेंस से उपचार कार्य बेहतर किया जा सकता है।

विपुल शर्मा ने कहा कि उपरोक्त सभी मांगें जनहित और गोवंश रक्षा से जुड़ी हैं। “मानव को चिकित्सा का अधिकार है, तो निरीह जीव-जंतुओं को क्यों नहीं?” – यह सवाल करते हुए उन्होंने शासन-प्रशासन से 1 माह के भीतर समाधान की अपील की है।

यदि मांगें पूरी नहीं की गईं, तो आंदोलन और तेज़ किया जाएगा।

 

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