छत्तीसगढ़पामगढ़

धरती आबा अभियान: श्रीमती पांचोबाई को मिला वन अधिकार पट्टा का हक़, उम्मीदों के लगे पंख

जांजगीर-चांपा 25 जून 2025/ धरती से जुड़ाव सिर्फ खेती का नहीं होता, यह जुड़ाव जीवन की सुरक्षा, आत्मसम्मान और पीढ़ियों की विरासत से भी होता है। जिले के बलौदा विकासखंड स्थित ग्राम छीतापाली की एक आदिवासी महिला श्रीमती पांचोबाई की कहानी यही संदेश देती है।

श्रीमती पांचोबाई वर्षों से अपने परिवार के साथ जंगल पर निर्भर होकर जीवन जी रही थीं। जिस ज़मीन पर वह खेती-बाड़ी करती थीं, वह कानूनी रूप से उनकी नहीं थी। हर साल उनके मन में यही चिंता रहती थी। क्या हम इस जमीन पर रह पाएँगे? लेकिन धरती आबा अभियान के अंतर्गत आयोजित जनजातीय ग्राम उत्कर्ष शिविर ने उनकी ज़िंदगी में उजाले की किरण जगाई। धरती आबा के विशेष शिविर में उन्हें वह दस्तावेज सौंपा गया, जिसका उन्हें लंबे समय से इंतज़ार था, वन अधिकार पट्टा। यह केवल ज़मीन का काग़ज़ी स्वामित्व नहीं था, बल्कि यह एक महिला को उसके अधिकार का प्रमाण, सुरक्षा की भावना और भविष्य के सपनों की ज़मीन भी थी।

श्रीमती पांचोबाई कहती हैं कि अब मैं सिर्फ एक खेतिहर महिला नहीं, अपनी ज़मीन की हक़दार हूं। मुझे शासन की योजनाओं से भी मदद मिल रही है, अब मेरा परिवार आगे बढ़ सकेगा। वन अधिकार पट्टा मिलने के बाद न केवल उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि अब वह शासन की अन्य योजनाओं जैसे कृषि उपकरण, बीज सहायता, पेंशन का भी लाभ ले पाएंगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय द्वारा शुरू की गई यह पहल धरती आबा अभियान वास्तव में उन हज़ारों वंचित परिवारों के लिए वरदान बन रही है, जिन्हें अब तक सिर्फ जंगल में रहने का हक़ मिला था, लेकिन ज़मीन पर मालिकाना हक नहीं। श्रीमती पांचोबाई की मुस्कान आज सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि एक सामाजिक परिवर्तन की प्रतीक बन गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!