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श्री श्री 1008 बाबा सत्यनारायण जी के 41वें जन्मदिवस पर कोसमनारा धाम में आस्था और विकास का संगम

27 वर्षों से तप में लीन बाबा की तपोभूमि को 1.20 करोड़ की सौगात, ओ.पी. चौधरी ने की बड़ी घोषणा

रायगढ़, 13 जुलाई 2025। हिन्दू धर्मग्रंथों में वर्णित ऋषियों की कठोर तपस्या को यदि कोई आज के युग में साकार करता दिखता है, तो वह हैं – श्री श्री 1008 बाबा सत्यनारायण जी। रायगढ़ जिले के कोसमनारा स्थित पवित्र तपोभूमि में बीते 27 वर्षों से लगातार हठयोग में लीन बाबा सत्यनारायण आज भी तप कर रहे हैं। वर्ष 1998 से बिना छत, बिना आराम और बिना किसी worldly संपर्क के बाबा का कठोर तप रायगढ़ की पावन धरती को आध्यात्मिक ऊर्जा से सिंचित करता आ रहा है।

बाबा सत्यनारायण जी का जन्म 12 जुलाई 1984 को देवरी डूमरपाली गांव में एक किसान परिवार में हुआ था। बचपन से ही साधना की ओर रुझान रखने वाले बाबा ने मात्र 14 वर्ष की उम्र में संसार का त्याग कर कोसमनारा को तपोभूमि बना लिया। जहां उन्होंने अपने ही प्रयासों से पत्थरों से शिवलिंग निर्माण किया और जीभ काटकर भगवान शिव को समर्पित कर दी। तब से आज तक उन्होंने न छांव की इच्छा की, न भोजन के स्वाद की चाह, केवल तप और भक्ति में लीन हैं।

आज बाबा जी के 41वें जन्मदिवस के पावन अवसर पर कोसमनारा धाम में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ी। इस अवसर पर छत्तीसगढ़ शासन के वित्त मंत्री एवं रायगढ़ विधायक श्री ओ.पी. चौधरी ने बाबा की तपोभूमि को और अधिक विकसित करने हेतु ₹1 करोड़ 20 लाख की राशि की स्वीकृति की घोषणा की। यह राशि जिला खनिज न्यास मद (DMF) से प्राप्त कर धार्मिक परिसर, सुविधाएं, धर्मशाला और मंदिर विस्तार के लिए उपयोग की जाएगी।

कोसमनारा धाम में अब एक भव्य दुर्गा मंदिर, धर्मशाला और सेवाभावी व्यवस्था विकसित हो चुकी है। लेकिन बाबा सत्यनारायण आज भी उसी स्थान पर, खुले आकाश के नीचे तप कर रहे हैं, और छांव तक को स्वीकार नहीं करते।

वे मौन रहते हैं, लेकिन जब ध्यान की स्थिति से बाहर आते हैं तो इशारों से भक्तों से संवाद करते हैं। यही कारण है कि कोसमनारा अब केवल एक गांव नहीं, अपितु श्रद्धा, तपस्या और शिवभक्ति का जीवंत प्रतीक बन चुका है।

श्री श्री 1008 बाबा सत्यनारायण जी की यह जीवनगाथा आज के समय में भी यह सिद्ध करती है कि तप, भक्ति और आत्म समर्पण से मानव अपने जीवन को आध्यात्मिक ऊंचाइयों तक पहुंचा सकता है।

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