फसलों की सुरक्षा के लिए गांव-गांव में चल रहा रोका-छेका अभियान
ग्रामीणों की सहभागिता के साथ गौठान समितियों की बैठक
जैविक खेती के बताए जा रहे फायदे, पशुओं का किया जा रहा टीकाकरण
जांजगीर-चांपा :- पशुओं से किसानों की खरीफ फसल की सुरक्षा के लिए गांव-गांव में रोका-छेका अभियान 10 जुलाई से चलाया जा रहा है। जिसमें ग्रामीणों की सहभागिता के साथ जिले की सभी ग्राम पंचायतों में गोठान समितियों के साथ बैठक आयोजित की जा रही है। बैठक में ग्रामीण, किसान मवेशियों को रोकने एवं खेत में लगी फसल को बचाने को लेकर एकजुट होकर बैठक में गौठान में ही मवेशियों के भेजने को लेकर निर्णय ले रहे हैं। हरेली तिहार के मौके पर भी सभी ग्राम पंचायत की गौठानों में रोका-छेका अभियान चलाया गया।
जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी डॉ. ज्योति पटेल ने बताया कि राज्य सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरवा, घुरूवा और बाड़ी एवं गोधन न्याय योजना कलेक्टर सुश्री ऋचा प्रकाश चौधरी के निर्देशन में चलाई जा रही है। इसके तहत सभी ग्राम पंचायतों में 10 जुलाई से रोका-छेका अभियान के माध्यम से ग्राम पंचायतों में गौठान समिति की बैठक आयोजित की गई है। 17 जुलाई को हरेली के दिन सभी गौठानों में रोका-छेका मनाया गया। जिसमें पशुओं के लिए गोठान में पर्याप्त सुविधाएं मुहैया कराने, पशुओं के लिए टीकाकरण सहित अन्य मुद्दों पर चर्चा करते हुए शिविर का आयोजन किया गया। उल्लेखनीय है कि रोका-छेका छत्तीसगढ़ की पुरानी परंपरागत व्यवस्था है, जिसके माध्यम से गांव के पशुओं को गांव में ही रोककर फसलों की सुरक्षा की जाती रही है। इसी परंपरा को राज्य सरकार द्वारा लागू करने से ग्रामीणों को अब पशुओं को लेकर समस्या नहीं आ रही है और सकारात्मक परिणाम मिल रहे हैं। गांव में रोका-छेका अभियान को सुचारू रूप से संचालन करने के लिए गौठान में आवश्यक व्यवस्थाएं जैसे पानी, चारा एवं पशुओं को बैठने की उचित व्यवस्था की जा रही है।
पशुओं को गौठानों में पहुंचा रहे ग्रामीण
जिला प्रशासन द्वारा की जा रही पहल से प्रेरित होकर गौठानों में किसान, पशुपालक अपने पशुओं को पहुंचा रहे हैं। पामगढ़ जनपद पंचायत की ग्राम पंचायत कोहका में रोका-छेका का आयोजन किया गया। जिसमें ग्रामीणों को अभियान एवं जैविक खेती के साथ ही टीकाकरण के संबंध में जानकारी दी गई। ग्राम पंचायत केसला में रोका-छेका अभियान चलाया गया। जनपद पंचायत नवागढ़ की ग्राम पंचायत खोखरा में रोका-छेका कार्यक्रम के माध्यम से ग्रामीणों ने बैठक करते हुए अपने पशुओं को गौठान में ही पहुंचाने का संकल्प लिया। इसी तरह ग्राम पंचायत दर्री में किसानों, ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजित की गई। जनपद पंचायत बलौदा की जर्वे च गौठान में रोका-छेका के माध्यम से पशुओं को गौठान में पहुंचाया गया। इसी तरह जनपद पंचायत अकलतरा की ग्राम पंचायत तिलई में फसलों को पशुओं से होने वाले नुकसान के संबंध में जानकारी दी गई, जिससे प्रेरित होकर किसान गौठान में अपने पशुओं को भेज रहे हैं।
जैविक खाद के उपयोग से खेती को बढ़ावा
जिला पंचायत सीईओ ने बताया कि गौठान में ही पशुओं को पहुंचाने के लिए जनप्रतिनिधि, किसान, पशुपालक, ग्रामीण नागरिक एकजुट हो रहे हैं और रोका-छेका अभियान को सफल बना रहे हैं। जहां एक ओर किसानों की फसलों को बचाने के लिए रोका-छेका अभियान चलाया जा रहा है, तो दूसरी ओर गौठानों में गोबर से तैयार की जा रही जैविक खाद के बारे में किसानों को बताया जा रहा है। बारिश में पशुओं को बहुत की बीमारियों का खतरा बना रहा है। इन बीमारियों से बचाने के लिए गौठान में शिविर लगाए जा रहे हैं, जिससे पशुपालकों को जानकारी मिल रही है। इसके साथ ही पशुओं का टीकाकरण भी हो रहा है।