अकलतराछत्तीसगढ़

नागपंचमी पर श्रद्धा, रोमांच और आस्था का संगम – 700 मीटर ऊंचे दल्हा पहाड़ की चोटी पर उमड़े श्रद्धालु और पर्यटक

सूर्यकुंड के अमृत तुल्य जल और मुनि आश्रम की मान्यताओं ने खींचा जनसैलाब

महेन्द्र सिंह राय अकलतरा :- बिलासपुर से लगभग 40 किलोमीटर तथा जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 30 किलोमीटर दूर अकलतरा तहसील के दल्हापोड़ी गांव स्थित दल्हा पहाड़ नागपंचमी और महाशिवरात्रि जैसे पावन अवसरों पर श्रद्धालुओं और पर्यटकों की आस्था का केंद्र बन जाता है। लगभग 700 मीटर ऊंचे इस पहाड़ की चोटी पर चढ़कर चारों ओर फैले प्राकृतिक सौंदर्य को देखने के लिए लोग दूर-दराज से पहुंचते हैं।

हर वर्ष नागपंचमी के दिन यहाँ विशाल मेला आयोजित होता है, जिसमें बड़ी संख्या में दर्शनार्थी भाग लेते हैं। पहाड़ की कठिन चढ़ाई, पथरीले रास्ते और जंगल के बीच से होते हुए भक्तगण श्रद्धा के साथ चोटी तक पहुँचते हैं और यहाँ स्थित मुनि आश्रम तथा सूर्यकुंड के दर्शन करते हैं।

विशेष रूप से प्रसिद्ध सूर्यकुंड के संबंध में मान्यता है कि इसका जल रोगों का नाश करता है। दशनाम जूना अखाड़ा के महंत एवं अर्धनारीश्वर धाम के मुख्य पुजारी शंकर पुरी महाराज के अनुसार “सूर्यकुंड का जल बारहों महीने अमृत के समान है और विशेषतः नागपंचमी के दिन इसका सेवन करने से रोगों से मुक्ति मिलती है।”

यह क्षेत्र ट्रैकिंग प्रेमियों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बनता जा रहा है। बिना सीढ़ी या पक्के रास्ते के इस दुर्गम चढ़ाई में कोटगढ़, पचरी, पंडरिया और पोड़ी गांवों के रास्तों से होकर श्रद्धालु व रोमांच प्रेमी दल्हा पहाड़ की चोटी तक पहुँचते हैं।

जंगल में सांपों की मौजूदगी के बावजूद लोगों का उत्साह और आस्था कम नहीं होती। श्रद्धालु इस यात्रा को एक “आध्यात्मिक मिशन” मानकर चोटी तक चढ़ने में गर्व महसूस करते हैं।

इस पवित्र स्थान की मान्यताएं, प्राकृतिक सौंदर्य और धार्मिक ऊर्जा इसे एक अद्वितीय स्थल बनाती हैं, जहां परंपरा, श्रद्धा और साहस का एक साथ संगम होता है।

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