अकलतराछत्तीसगढ़

“श्रीमद्भागवत पुराण प्रेम का विशुद्ध शास्त्र है” — पं. हरगोपाल शर्मा

ग्राम मुरलीडीह में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब

अकलतरा, 23 जुलाई 2025। ग्राम मुरलीडीह में स्वर्गीय जनीराम यादव की पुण्य स्मृति में यादव परिवार द्वारा आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ का भव्य आयोजन हुआ। इस अवसर पर भाटापारा से पधारे प्रसिद्ध भागवताचार्य पंडित हरगोपाल शर्मा जी ने भगवान के दिव्य चरित्रों की अमृतमयी कथा भावपूर्ण शैली में प्रस्तुत की, जिसे सुनकर श्रद्धालु भावविभोर हो गए।

पंडित शर्मा ने कहा कि “काशी क्षेत्र में श्रेष्ठ, गंगा नदियों में श्रेष्ठ, कृष्ण देवताओं में श्रेष्ठ हैं, वैसे ही श्रीमद्भागवत पुराण समस्त पुराणों में श्रेष्ठ है। यह प्रेम का तिलक और विशुद्ध शास्त्र है।” उन्होंने बलिप्रथा की भर्त्सना करते हुए कहा कि कोई भी देवी-देवता बलि नहीं चाहता, यह शास्त्रविरुद्ध कृत्य है जिसका दुष्परिणाम व्यक्ति को भुगतना पड़ता है।

उन्होंने पांच प्रकार के दैनिक यज्ञ गौ ग्रास, अग्नि को भोजन, चींटी को आटा, पक्षियों को अन्न, तथा अतिथि सत्कार का महत्व समझाते हुए कहा कि इनसे अनजाने में होने वाले पापों से मुक्ति मिलती है।

प्रहलाद चरित्र, गज-ग्राह उद्धार, रामकथा व कृष्ण जन्म जैसे प्रसंगों को उन्होंने अत्यंत भावनात्मक ढंग से प्रस्तुत किया। “गर्भवती महिलाओं को भगवान की कथा व अच्छे साहित्य का पठन करना चाहिए,” उन्होंने प्रहलाद जी की कथा के माध्यम से यह संदेश दिया।

गोवर्धन पूजन पर प्रकृति पूजन का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा, “भगवान ने इंद्र पूजा बंद करा प्रकृति संरक्षण का संदेश दिया, हमें वृक्षों, नदियों, पर्वतों को देवतुल्य मानना चाहिए।”

महारास प्रसंग को जीवात्मा और परमात्मा के मिलन का दिव्य रूप बताते हुए उन्होंने गोपियों के माध्यम से प्रेम के तीन स्वरूपों की व्याख्या की। उन्होंने कहा कि “प्रेम का सर्वोच्च रूप निस्वार्थ होता है, जैसा माता-पिता का होता है।”

सुदामा चरित्र पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि “सुदामा को शास्त्रों में दरिद्र नहीं कहा गया। ब्राह्मण को दान लेने का अधिकार है, भिक्षा मांगने का नहीं।” प्रभु श्रीकृष्ण द्वारा सुदामा जी के स्वागत हेतु थाली छोड़ दौड़कर जाना, ईश्वर के विनम्र स्वभाव को दर्शाता है।

उद्धव चरित्र, दत्तात्रेय जी के 24 गुरु, भगवान के स्वधाम गमन, और अंत में सुकदेव जी की विदाई एवं परीक्षित मोक्ष के प्रसंग ने श्रद्धालुओं को अध्यात्म की गहराइयों से जोड़ दिया।

पंडित शर्मा ने कथा के समापन पर उपस्थित जनसमूह से आग्रह किया कि “धर्म के साथ राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का भी ईमानदारी से निर्वहन करें।”

गौरतलब है कि ग्राम मुरलीडीह में पहली बार श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन हुआ, जिसमें यादव परिवार के साथ-साथ आसपास के गांवों और शहरों से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए और कथा का पुण्य लाभ लिया।

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