
महेंद्र सिंह राय | बिलासपुर। मस्तूरी विकासखंड में विकासखंड स्त्रोत समन्वयक (BRC) के रिक्त पद को लेकर एक बार फिर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। जिन कर्मचारियों के खिलाफ कार्य में लापरवाही के कारण निलंबन जैसी विभागीय कार्यवाही हो चुकी है, वे भी अब राजनीतिक पकड़ और अधिकारियों से साठगांठ कर इस जिम्मेदार पद पर बैठने का सपना देख रहे हैं।
जानकारी के अनुसार, मस्तूरी बीआरसी के रिक्त पद हेतु विभाग द्वारा आमंत्रित आवेदनों में मस्तूरी क्षेत्र के कुल आठ कर्मचारी पात्र सूची में शामिल किए गए हैं। इन आवेदकों का साक्षात्कार दिनांक 29 जुलाई 2025 को शाम 4 बजे, कार्यालय जिला पंचायत बिलासपुर में आयोजित किया जाना है।
चिंताजनक बात यह है कि इन आठ में से कई कर्मचारी पूर्व में लापरवाही के कारण निलंबित हो चुके हैं। अगर ऐसे गैर-जिम्मेदार कर्मचारियों को बीआरसी जैसे गंभीर दायित्व वाले पद पर नियुक्त किया जाता है, तो मस्तूरी क्षेत्र की शिक्षा व्यवस्था और विकास कार्यों में भारी गिरावट आना तय है।
शिक्षा व्यवस्था पहले से ही बदहाल
- मस्तूरी विकासखंड के कई स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है।
- कहीं छत नहीं है, तो कहीं टेबल-कुर्सी जैसी जरूरी सामग्री तक नहीं।
- खेल मैदान, खेल सामग्री, मध्यान्ह भोजन, और पीने के पानी जैसी मूलभूत जरूरतें भी अधूरी हैं।
अब सवाल यह उठता है कि ऐसे हालातों में अगर लापरवाह और सस्पेंडेड रिकॉर्ड वाले कर्मचारी को बीआरसी की जिम्मेदारी दी जाती है, तो क्या शिक्षा व्यवस्था सुधरेगी या और बदहाल हो जाएगी?
क्या राजनीति बनाम योग्यता का हो रहा है मुकाबला?
ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि कुछ कर्मचारी अपनी राजनीतिक पहुंच और विभागीय अफसरों से मिलीभगत के बल पर चयन प्रक्रिया को प्रभावित करने की कोशिश में लगे हैं। यदि यह सच साबित होता है, तो यह न केवल शिक्षा विभाग की निष्पक्षता पर प्रश्नचिह्न है, बल्कि आने वाले समय में बच्चों के भविष्य के साथ भी एक अन्यायपूर्ण खिलवाड़ होगा।
अब देखना यह है कि चयन प्रक्रिया में योग्यता और ईमानदारी की जीत होती है या राजनीति और साठगांठ एक बार फिर हावी हो जाती है।