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भारतीय पासपोर्ट की बढ़ी धमक, पांच पायदान ऊपर चढ़कर पहुंचा 80वें स्थान पर, जानिए कितने देशों में कर पाएंगे वीजा फ्री यात्रा

नई दिल्ली :- देश की पहचान दुनिया में पासपोर्ट के जरिए होती है. दुनिया में कौन सा देश सबसे ज्यादा मजबूत है, इसका अंदाजा पासपोर्ट को दूसरे देशों में मिलने वाली अहमियत से होता है. हेनले पासपोर्ट इंडैक्स 2023 के अनुसार, भारत का रुतबा बीते एक साल में पांच पायदान ऊपर चढ़कर 80वें स्थान पर पहुंच गया है. वहीं हमारा पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान 100 वें स्थान पर अटका हुआ है

भारतीय पासपोर्ट का रुतबा बढ़ने का हम भारतीयों को यह फायदा है कि अब बिना वीजा के हम दुनिया के 57 देशों में जा सकते हैं, यानि इन सभी 57 देशों में भारतीयों को वीजा फ्री एंट्री मिलेगी. वहीं हेनले एंड पार्टनर्स इंडेक्स में दुनिया में सबसे मजबूत पासपोर्ट का दर्जा सिंगापुर को दिया गया है. सिंगापुर के लोग बिना वीजा के दुनिया के 192 देशों मे एंट्री पा सकेंगे

वहीं रैंकिंग में यदि सबसे कमजोर पासपोर्ट की बात करें तो अफगानिस्तान का नाम सबसे ऊपर है. इसके बाद ईराक व सीरिया का नंबर आता है. पाकिस्तान दुनिया का चौथा देश है, जिसका पासपोर्ट बेहद कमजोर है. पाकिस्तानी पासपोर्ट से कुल 33 देशों में वीजा फ्री एंट्री मिल सकती है

एक समय में इंडेक्स की रैंकिंग में सबसे आगे रहने वाले संयुक्त राज्य अमेरिका की रैंकिंग में गिरावट देखी जा रही है. हालांकि, ब्रिटेन ने सुधार दिखाया है और चौथे स्थान पर पहुंच गया है, जबकि 183 वीज़ा-मुक्त गंतव्यों तक पहुंच के साथ अमेरिकी रैंकिंग गिरकर आठवें स्थान पर आ गई है. पिछले साल पहले पायदान पर रहने वाला जापान तीसरे स्थान पर पहुंच गया है

199 पासपोर्टों को रैंक करता है हेनले पासपोर्ट इंडेक्स

हेनले पासपोर्ट इंडेक्स, जो इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन (IATA) डेटा के आधार पर 199 पासपोर्टों को रैंक करता है, वीज़ा नीतियों में बदलाव को प्रतिबिंबित करने के लिए नियमित रूप से अपडेट किया जाता है. पिछले कुछ वर्षों में यात्रियों के लिए वीज़ा-मुक्त गंतव्यों की औसत संख्या 2006 में 58 से लगभग दोगुनी होकर 109 हो गई है

एक बयान में कहा गया है कि 18 साल पुरानी रैंकिंग के इतिहास में अधिक स्वतंत्रता रही है, जहां यात्री वीज़ा-मुक्त गंतव्यों तक पहुंचने में सक्षम हैं, उनकी औसत संख्या 2006 में 58 से लगभग दोगुनी होकर 2023 में 109 हो गई है. इन सबके बावजूद शीर्ष रैंक और निचले रैंक वाले देशों के बीच यात्रा की स्वतंत्रता में महत्वपूर्ण अंतर बना हुआ है

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