असुरों को मारने के लिए भगवान अवतरित नहीं होते- स्वामी राजीवलोचन दास जी महाराज

कवर्धा :- श्री रुद्र महायज्ञ, श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह, श्री रामकथा, योग शिविर के पांचवें दिन व्यासपीठ स्वामीश्री राजीव लोचन दास जी महाराज ने कहा कि कंस आदि असुरों को मारने के लिए भगवान का अवतार नहीं होता।ये तो अपने स्वाभाविक आयु जीकर के वैसे भी मरण धर्मा जीव हैं। फिर भगवान के अवतार का मूल कारण क्या है? यह एक विचारणीय विषय है।
श्री गणेशपुरम में गणेश तिवारी द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत ज्ञान सप्ताह के पांचवे दिन स्वामी राजीवलोचन दास जी महाराज ने कहा कि गौएं उपनिषद के अनुसार विश्व जनपद में एक करोड़ गायों की सेवा होती हो, उस जनपद में स्वयं भगवान या फिर उनके समान महापुरुष का अवतरण होता है। जिस समय भगवान श्रीकृष्ण ब्रज मण्डल में अवतरित हुए, उस समय लगभग 9 लाख गौएं नंदबाबा के कोष्ठ में थी। इस दृष्टि से देखा जाए, तो लगभग एक करोड़ से ऊपर गौ पालन मथुरा जनपद में हो रहा था और आश्चर्य का विषय होना चाहिए कि उस समय कंस जैसे असुर का शासन था। इस दृष्टि से विचार किया जाए, तो भारत के हर जिले में केवल 2 लाख गौएं का पालन पोषण होता था। लेकिन अब भारत के शासन में पदस्थ मुख्यमंत्री एवं प्रधानमंत्री विचार करे तो उनका शासन कंस से भी निकृष्ट सिद्ध होगा। इसलिए प्रकृति को धारण करने वाली गौमाता की रक्षा के लिए भगवान का जन्म हुआ।
उक्त प्रसंग सन्त राजीव लोचन महाराज ने उदधृत किया।
स्वामी जी ने कहा कि
भी बेशकीमती और महत्वपूर्ण वस्तुओं को अधिक सुरक्षा करनी होती हैं। इसलिए माताएं घर पर रहती हैं और घर भी उनका होता है। माताओं के पास गृह मंत्रालय होता है। इसीलिए स्त्री को गृहणी कहते हैं। घर की जिम्मेदारी और संचालन जितनी कुशलता के साथ माताएं करती हैं,उतनी कुशलता के साथ पुरूष नहीं कर सकते। उसी प्रकार बाहर का काम पुरुष अधिक कुशलता के साथ करते हैं। स्त्री घर के भीतर और पुरुष घर के बाहर रहकर अधिक सम्मानित होते हैं।